शनिवार, 28 फ़रवरी 2009

श्री दधिमती जी की आरती

जय जय जनकसु नंदनी , हरीवंदनी हे.हरी वन्दनी हे ।
दुष्ट निकन्दनि मात , जय जय विष्णु प्रिये । ।
सकल मनोरथ दोहिनी , जग मोहिनी हे .जग मोहिनी हे ।
पशुपति मोहिनी मात , जय जय विष्णु प्रिये ।। जय जय । ।
बिकट निशाचर कुन्थनी, दधिमती .हे दधिमती हे ।
त्रिभुवन ग्रथिनी मात , जय जय विष्णु प्रिये । । जय जय । ।
दिवानाथ -सम -भासिनी , मुखहासिनी हे मुखहासिनी हे ।
मरुधर वासिनी मात , जय जय विष्णु प्रिये । । जय जय । ।
जगदम्ब जय कारिणी खल हरिणी हे.खल हरणीहे ।
मृगरिपु चारणी मात , जय जय विष्णु प्रिये । । जय जय । ।
पिप्पलाद मुनि पालनी ,वपुशालिनी हे .वपुशालिनी हे ।
खल दल दामिनी मात , जय जय विष्णु प्रिये । । जय जय । ।
तेज विदित सौदामिनी, हरी भामिनी हे .हरी भामिनी हे ।
अपि गज गामिनी मात ,जय जय विष्णु प्रिये । । जय जय । ।
धरणीधर सु सहायनि ,श्रुति गायनी हे श्रुति गायनी हे ।
वांछित फल दायनी मात , जय जय विष्णु प्रिये । । जय जय । ।

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